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Rewa news:बिना फार्मर आइडी नहीं मिलेगी किसान समान निधि!

Rewa news:बिना फार्मर आइडी नहीं मिलेगी किसान समान निधि!

 

 

 

 

 

 

 

रीवा. किसानों को मिलने वाली किसान समान निधि के लिए अब फार्मर आईडी सभी किसानों को जरूरी की गई है। जिन किसानों के पास यह आईडी नहीं होगी उन्हें अब समान निधि नहीं दी जाएगी। सरकार ने इसके लिए समय सीमा भी निर्धारित कर दी है। दिसंबर अंत तक सभी को फार्मर आईडी बनाना होगा। इसी महीने से मिलने वाले समान निधि को भी रोकने का निर्देश दिया गया है।

 

 

 

 

 

 

 

इस संबंध में कलेक्टर के पास शासन का पत्र आया है जिसमें कहा गया है कि राजस्व महा अभियान में सभी किसानों की यूनिक आईडी बनाने की शुरूआत की जाए। इस पर जिले में शुरुआत भी हो गई है। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देश जारी किया है और नियमित इसकी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा गया है। किसानों को सहूलियत दी गई है कि वह वेबसाइट पर जाकर अपनी आईडी बना सकते हैं, लेकिन इस पोर्टल पर प्रारंभिक रूप से कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। इसमें किसानों का खसरा और आधार का नाम मिसमैच हो रहा है। ऐसे में किसानों की ओर से लगातार शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका समाधान नहीं मिल पा रहा है। कहा जा रहा है कि सर्वर के स्तर पर वरिष्ठ कार्यालय से इसका समाधान होगा। फार्मर आईडी बनाने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर तय की गई है। ऐसे में इस बीच उनकी फार्मर आईडी नहीं बन पाई, तो उन्हें किसान समान निधि की अगली किस्त नहीं मिल सकेगी।

 

 

 

 

 

 

 

फार्मर आइडी कार्य से सर्वेयर पृथक किए गए

किसानों को विभिन्न योजनाओं के लाभ हेतु शासन द्वारा फार्मर आईडी को अनिवार्य किया गया है,जिसका कार्य लोकल यूथ सर्वेयर को भी दिया गया है। बार-बार निर्देश के बावजूद कुछ सर्वेयरों द्वारा कार्य को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। जिसके परिणाम स्वरूप फार्मर रजिस्ट्री कार्य में लापरवाही पर अनुविभागीय अधिकारी रायपुर कर्चुलियान के आदेशानुसार पाँच सर्वेयरों भूपेंद्र शर्मा ग्राम जोगिनहाई, मेवालाल सिंह ग्राम ऐतला, यश सिंह परिहार ग्राम बरहदी ,खुशबू कचेर ग्राम चोरगढ़ी ,रोहित पांडे ग्राम पडरा को कार्य से पृथक कर दिया गया है।

 

 

 

 

 

 

अधिकारियों का दावा है कि किसानों की आईडी इसलिए बनवाई जा रही है कि शासन स्तर की किसी भी प्रकार की योजना का लाभ किसानों को वन क्लिक में मिल जाए। आईडी बनी होने से वास्तविक किसानों का डाटा सरकार के पास चला जाता है। कई ऐसे मामले भी आए हैं जिसमें किसानों को अलग-अलग जिलों में भी भूमि होने की वजह से अलग लाभ मिल रहा है। नई व्यवस्था में किसान का एक यूनिक आईडी नंबर रहेगा। हर खातेदार का खसरा, हिस्सा, मोबाइल नंबर, आधार संया, ई-केवायसी विवरण रहेगा। आईडी बन जाने के बाद पीएम किसान समान निधि योजना का लाभ आसानी से मिलेगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों के पंजीयन में सुगमता होगी। बार-बार सत्यापन की जरूरत समाप्त हो जाएगी। विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ बिना किसी रूकावट के मिलेगा। आपदा की स्थिति में किसानों को क्षतिपूर्ति राशि के लिए चिन्हित करना आसान होगा।

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